फेस्टिवल में किस भाषा के कितने सत्र होने चाहिए, या किसे कितना समय मिलना चाहिए ये प्रश्न अलग हैं जिनका जवाब आयोजन और उसके उद्देश्य के साथ केवल आयोजकों के पास ही होते हैं पर किसी छोटी सी बात को बढ़ा चढ़ा कर कहना या तिल का ताड़ बना देने से तो एसे सवालों का जवाब नहीं मिल सकता।